राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत
इतिहास भूतकाल में हुई विशेष घटनाओं का वृतान्त होता है। इतिहासकार उन विशेष घटनाओं केमहत्वपूर्ण तथ्यों को सामने रखकर भूतकाल को वर्तमानकाल से जोड़ता है। ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्तकरने के लिए जो स्त्रोत (साधन) होते हैं उन्हें इतिहास के स्त्रोत कहा जाता है। ऐसे स्त्रोतों में अभिलेख(शिलालेख), मुद्राएँ, ताम्रपत्र है, जो ऐतिहासिक घटनाओं, ऐतिहासिक पुरुषों एंव उनके वंशक्रम काविवेचन प्रस्तुत करते हैं।
साहित्यकार वर्डसवर्थ ने कहा है कि बहता हुआ झरना, एक रोड़ा (पत्थर) व जमीन में दबी हुई चीजें प्राचीन मानव की सही जानकारी देती है, किताबें नहीं। कहा जाता है कि राजस्थान के पत्थर भी अपना इतिहास बोलते हैं।
अध्ययन की दृष्टि से राजस्थान के इतिहास जानने के स्त्रोतों (साधनों) को निम्नलिखित भागों मेंविभाजित (वर्गीकृत) किया जा सकता है
👉 इतिहास जानने के स्त्रोत
इतिहास जानने के स्त्रोत | ||
पुरातात्विक स्त्रोत | साहित्यिक स्त्रोत | आधुनिक इतिहासकार एवं ग्रन्थ |
(1) अभिलेख / शिलालेख (2) सिक्के (3) ताम्रपत्र (4) स्मारक
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(1) संस्कृत साहित्य (2) हिन्दी एंव राजस्थानी साहित्य (3) ख्यात साहित्य (4) जैन साहित्य (5) चारण साहित्य (6) रासो साहित्य (7) फारसी साहित्य
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(1) कर्नल जेम्स टॉड (2) डॉ. एल पी टेस्सिटोरी (3) मुहणौत नैणसी (4) सूर्यमल्ल मिश्रण (5) गौरीशंकर हीराचंद ओझा (6) कविराज श्यामलदास (7) मुंशी देवी प्रसाद (8) रामनाथ रत्नू (9) जगदीश सिंह गहलोत (10) डा. दशरथ शर्मा (11) हरविलास शारदा (12) पं झाबरमल शर्मा (13) पं. विश्वेश्वरनाथ रेऊ (14) पं. गंगासहाय |