हाड़ौती शैली | बूँदी शैली | अजमेर शैली | नागौर शैली

हाड़ौती शैली स्कूल | चित्रकला शैली


🕊️ बूंदी शैली

  • इस शैली पर मेवाड़ चित्र शैली का प्रभाव स्प्ष्ट नजर आता है।
  • बूंदी शैली का स्वर्णकाल सुर्जन सिंह हाड़ा का काल माना जाता है। 
  • बूंदी शैली को राजस्थानी विचारधारा की शैली या प्राचीन विचारधारा की शैली कहा जाता है।
  • बूंदी शैली, किशनगढ़ शैली के बाद राज्य की सर्वश्रेष्ठ शैली है। 
  • बूंदी शैली में दक्षिण शैली, ईरानी शैली, मुगल शैली व मराठा शैली का समन्वय देखने को मिलता है।
  • बूंदी शैली के अन्तर्गत यहां स्थित चित्रशाला का निर्माण राव उम्मेदसिंह हाडा ने करवाया। जिसे भित्ति चित्रों का स्वर्ग कहते हैं। 
  • रंगमहल के चित्र राव शत्रुशाल हाड़ा के समय तैयार किए गए। 
  • पशु-पक्षियों का चित्रण बूंदी शैली की प्रमुख विशेषताएं है।
  • इस शैली में सुनहरे तथा भड़कीले रंगों का प्रयोग बहुतायत किया गया है।
  • प्रमुख चित्रकार – अहमद अली, सुर्जन, अहमदली, रामलाल, श्री किशन और साधुराम इस शैली के प्रमुख कलाकार हुए।
  • शत्रुशाल (छत्रशाल) ने रंगमहल का निर्माण करवाया जो अपने सुंदर भित्ति चित्रण के कारण विश्व प्रसिद्ध है। 
  • अनिरुद्ध सिंह के समय हाड़ोती चित्र शैली में, साउथ शेली का प्रभाव भी आया।
  • बूँदी चित्रशैली की विशेषता ~ प्रधान रंग– नारंगी व हरा
  • विषय ~ नायिक-नायिका, बारहमासा, ऋतु चित्रण, भागवत पुराण पर आधारित कवियों की रचनाओं से सम्बंधित चित्र मिले। दरबारी दृश्य, अन्तःपुर या रनिवास के भोग विलास युक्त जीवन,शिकार, होली, युद्ध के चित्र मिले। 
  • पशु-पक्षी अर्थात बूंदी चित्र शैली को पशु-पक्षियों वाली चित्र शैली भी कहा जाता है। 
  • प्रकृति– आकाश में उमड़ते हुये काले बादल, बिजली की कौंध, घनघोर वर्षा, हरे भरे पेड़।

 

🐧 कोटा शैली

  • इस शैली का स्वतंत्र विकास महाराजा रामसिंह के समय हुआ। 
  • कोटा शैली में महाराजा उम्मेद सिंह हाड़ा के समय सर्वाधिक चित्र चित्रित किए गए।
  • शिकारी दृश्यों का चित्रण इस शैली की मुख्य विशेषता है। 
  • राज्य की एकमात्र शैली जिसमें नारियों को शिकार करते हुए दर्शाया गया है।
  • कोटा शैली का सबसे बड़ा चित्र रागमाला सैट 1768 ई. में महाराजा गुमानसिंह के समय डालू नामक चित्रकार द्वारा तैयार किया गया।
  • कोटा चित्रशैली काफी हद तक बूंदी शैली के निकट ही नजर आती है। 
  • कोटा चित्र शैली में बूंदी व मुगल शैली का समन्वय पाया जाता है।
  • कोटा कलम में मुगलिया प्रभाव राव जगतसिंह के समय से देखने को मिलता है।
  • कोटा चित्र शेली महाराव उम्मेद सिंह के समय अपने चर्मोत्कर्ष पर थी।
  • मुख्य विशेषता जगलो में शिकार करने के चित्र यहाँ अधिक मिले है, यहां शासको के साथ रानियो व स्त्रियों को भी शिकार करते हुए दिखाया गया है।
  • रामसिंह (1828 ई.) कला प्रेमी थे, इनको हाथी व घोड़े की सवारी अधिक प्रिय थी। अतः उनको चित्रों में राजसी वेशभूषा पहने हुये, हाथी व घोड़े पर बैठे चित्रों का अधिक अंकन किया गया है।  
  • इनके समय के चित्रों में कुछ चमत्कारी चित्र भी मिलते है, जैसे- हाथी की सूंड पर नारी का नृत्य, छतरी पर हाथी की सवारी आदि।
  • 1857ई. के समर के बाद इस शैली पर कम्पनी की कलम का प्रभाव भी आने लगा। 
  • शत्रुशाल द्वितीय के बाद ये शैली अपने पतन की ओर उन्मुख (पतनोन्मुख) हो गई

विशेषताएं

  1. नारी सौंदर्य
  • इस शैली में नारी का चित्रण अधिक सुंदर मिलता है। जैसे सुदीर्घ नासिका, पतली कमर, उन्नत उरोज, कपोल लिए हुए सुंदर अलकावली नारी आकृति की जीवंतता प्रदान करती है।
  1. पुरुष आकृति
  • मुख्यतः वृषभ कंधे, उन्नत भौहे, मांसल देह, मुख पर भरी भरी दाढ़ी और मुछे, तलवार कतार आदि हथियारों से युक्त वेशभुषा । 
  • मोतियों जड़े आभूषण विशेष
  1. प्रमुख रंग – हल्का हरा, पीला व नीला रंग अन्य रंगों की अपेक्षा अधिक प्रयोग हुआ है।
  2. प्रमुख कलाकार- रघुनाथ, गोविंदराम, डालू, लच्छीराम, नूरमोहम्मद।

🦜 अजमेर शैली

  • राजस्थान की अन्य चित्र शैलियों की भांति अजमेर भी चित्रकला का प्रमुख केन्द्र रहा। अन्य रियासतों के विपरीत राजनैतिक उथल पुथल तथा धार्मिक प्रभावों के कारण यहां चित्रण के आयाम बदलते रहे।
  • अजमेर मे जहां दरबारी एवं सामंती संस्कृति का अधिक प्रभाव रहा, वही ग्रामों मे लोक संस्कृति तथा ठिकाणों मे राजपूत संस्कृति का वर्चस्व बना रहा।
  • प्रारंभिक चित्रो मे राजस्थानी और जैन – शैली का प्रचलित रुप दर्शनीय हैं व मुगलों के आगमन के बाद मुगल स्कूल का प्रभाव देखने को मिलता हैं। 
  • 1707ई. मे महाराजा अजीतसिंह के समय से अजमेर कलम पर जोधपुर शैली का प्रभाव पडने लगा। 
  • भिनाय, सावर, मसूदा, जूनियाँ जैसे ठिकाणों में चित्रण की परम्परा ने अजमेर शैली के विकास और संर्वधन मे विशेष योगदान दिया। 
  • ठिकाणों में चित्रकार कलाकार करते थे जो जूनियाँ का चाँद, सावर का तैय्यब, नाँद का रामसिंह भाटी, जालजी एवं नारायण भाटी खरवे से, मसूदा से माधोजी एवं राम तथा अजमेर के अल्लाबक्स, उस्त्रा और साहिबा स्त्री चित्रकार विशेष उल्लेखनीय हैं। 
  • चित्रो की विशेषता ~ पुरुषाकृति लंबी, सुन्दर, संभ्रांत एवं ओज को अभिव्यक्ति करने वाली। कानों मे कुंडल, बाली, गले में मोतियों का हार, माथे पर वैष्णवी तिलक, हाथ में तलवार, पैरों मे मोचड़ी धारण किये अजमेर शैली के सांमत कला के उदाहरण हैं।
  • 1698 ई. का निर्मित व्यक्ति चित्र इस कथन का सुन्दर उदाहरण हैं।
  • यही एक ऐसी कलम रही जिसको हिन्दू, मुस्लिम और क्रिश्चियन धर्म का समान प्रश्रय मिला।

🦢 नागौर शैली

  • सन् 1700-1750 ई. के मध्य के सभी चित्र नागौर से मिले हैं। इस द्रष्टि से नागौर शैली का विकास भी 18वीं शताब्दी के प्रारंभ से माना जाता हैं। 
  • नागौर शैली के चित्रों मे बीकानेर, अजमेर, जोधपुर, मुगल और दक्षिण चित्र शैली का मिलाजुला प्रभाव है। 
  • नागौर शैली मे बुझे हुये रंगों का अधिक प्रयोग हुआ हैं।
  • 1720ई. का ठाकुर इन्द्र सिंह का चित्र इस शैली का उत्कृष्ट चित्र हैं। वृद्धावस्था के चित्रों को नागौर के चित्रकारों ने अत्यंत कुशलतापूर्वक चित्रित किया है।
  • नागौर शैली की अपनी पारदर्शी वेशभूषा की विशेषता है।  
  • शबीहों का चित्रण मुख्य रुप से नागौर मे हुआ है।

Read More :-

  1. फ्रेडरिक रेटजेल एक महान मानव भूगोलवेत्ता
  2. हेरोडोटस का भूगोल में योगदान
  3. इरेटोस्थनीज की भूगोल को देन
  4. स्ट्रैबो का भूगोल में योगदान
  5. टॉलेमी का भूगोल में योगदान
  6. हम्बोल्ट का भूगोल के विकास में योगदान
  7. वेबर का औद्योगिक अवस्थान मॉडल 
  8. भूमण्डलीय स्थितीय तंत्र (GPS)
  9. दक्खिनी चित्र शैली 
  10. भारतीय संघीय व्यवस्था के आधारभूत तत्व
  11. मूल कर्त्तव्य और राज्य के नीति निर्देशक तत्व
  12. मूल अधिकार
  13. भारत की संघीय व्यवस्था
  14. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
  15. उद्देशिका | प्रस्तावना

★ हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां click करें।

★ हमारे Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां click करें।

★ GK Quiz के लिए यहां Click करें।


★ हमारा राजस्थान के महत्वपूर्ण अन्य लेख :-

  1. हमारा राजस्थान – एक परिचय
  2. हमारा राजस्थान के प्राचीन ऐतिहासिक क्षेत्र 
  3. हमारा राजस्थान का इतिहास जानने के सोत 
  4. हमारा राजस्थान ~ प्राचीन सभ्यता स्थल 
  5. हमारा राजस्थान ~ आजादी से पूर्व सरकार का स्वरूप
  6. हमारा राजस्थान का भौतिक स्वरूप
  7. हमारा राजस्थान के जल संसाधन और संरक्षण
  8. हमारा राजस्थान आजीविका के प्रमुख क्षेत्र
  9. हमारा राजस्थान में आधारभूत सेवाएँ
  10. हमारा राजस्थान की लोक संस्कृति एवं कला
  11. 18 वीं सदी का हमारा राजस्थान

>> Categories


GK Quiz के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें।

  1. भारत का भूगोल प्रश्नोत्तरी
  2. भारतीय इतिहास प्रश्नोत्तरी
  3. राजस्थान इतिहास प्रश्नोत्तरी 
  4. हिन्दी प्रश्नोत्तरी
Share this Content ~

Leave a Comment