दूरी और अक्षांशीय स्थिति सम्बन्धी सभी समस्याओं का समाधान भूमण्डलीय स्थितीय तंत्र ( global Positioning System ) अथवा G.P.S. द्वारा संभव है ।
भूमण्डलीय स्थितीय तंत्र (GPS) में 24 उपग्रहों का उपयोग किया जाता है । यह उपग्रह 20,200 किमी. की ऊँचाई पर लगभग वृत्तीव कक्षा में लगभग 12 घण्टे में पृथ्वी की एक परिक्रमा करते है।
जी.पी.एस प्रणाली को तीन प्रमुख प्रभागों में विभाजित किया गया है।1. आन्तरिक प्रभाग ( Space Segment )2. नियन्त्रण प्रभाग ( Control Segment )3. उपयोगकर्ता प्रभाव ( User Segment )
किसी वस्तु के सम्पर्क में आये बिना उसके बारे में सूचना प्राप्त करना दूर संवेदन कहलाता है ।
जी.पी.एस. प्रणाली किसी भी स्थित बिन्दु पर 10 से 15 मी. की शुद्धता प्रदान करती है, बशर्ते कोई भी चुनी हुई उपलब्धता ( Selective Availability – SA ) या प्रति चरखीय ( Acti Spooling ) न हो।
जी.पी.एस. संकेतों के उपयोग के लिये एक पर्याप्त रिसीवर की आवश्यकता होती है जिससे नौ संचालन या ज्योडेटिक स्थितियों का निर्धारण किया जाता है ।
वायुयान और जलयान का परिचालन भूकेन्द्रों की मदद के बिना केवल जी.पी.एस की मदद से ही करना संभव है ।
जी.पी.एस. की मदद से स्थान और वाहन की सही स्थिति ज्ञात की जा सकती है ।
लगभग एक दशक पहले के खाड़ी युद्ध (इराक) पर अमेरिकी हमले के दौरान जी.पी.एस. का भरपूर उपयोग किया गया था।