सरदार भगतसिंह क्यों बने  क्रन्तिकारी  ?

भगतसिंह का जन्म होने के दिन ही उनके पिता एवं चाचा के रिहा होने के कारण उनकी माँ विद्यावती को इतनी खुशी हुई कि, उन्होंने उनका नाम ‘ भागोंवाला ‘ रख दिया।

लाहौर के राष्ट्रीय कॉलेज से सरदार भगतसिंह ने बी.ए. पास किया।

असहयोग आन्दोलन आरम्भ होने के समय से भगतसिंह को देशभक्ति का शौक पड़ गया था। अपने देश की बिगड़ी हुई हालत का उनके दिल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।

सन् 1924 में ‘ हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन ‘ नामक एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना हुई। भगतसिंह इस दल के प्रमुख सदस्य थे।

कांकोरी के पास ट्रेन से खजाना लुटने के आरोप में और असेम्बली में  बम फेंकने के आरोप में भगतसिंह को 7 अक्टूबर, 1930  को फाँसी की सजा सुनाई|

साहसी, वीर, देशभक्त एवं महान् क्रांतिकारी सरदार भगतसिंह को 23 मार्च, 1931 को फाँसी लग गई।

भगतसिंह के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ click करें |