झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था 

रानी लक्ष्मीबाई को घुड़सवारी करना, अस्त्र – शस्त्र चलाना, सैन्य संचालन एवं व्यायाम आदि बाजीराव के एक मात्र पुत्र नाना साहब धूंधूपंत ने सिखाया था।

महारानी लक्ष्मी बाई के पति गंगाधर राव ने अपना अन्तिम समय निकट जानकर आनन्दराव ( दामोदर राव ) नामक एक बालक को गोद लिया ।

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने भी राव साहब पेशवा, बांदा के नवाब और तात्या टोपे के साथ 1857 के विद्रोह में भाग लिया।

ग्वालियर पर युद्ध के बादल मंडराते देख कर महारानी लक्ष्मीबाई  मर्दाने वस्त्र धारण कर, तलवार हाथ में लेकर,घोड़े पर बैठ कर रणचण्डी बन कर रणक्षेत्र में कूद पड़ीं थी।

भयंकर युद्ध करते हुए रानी ने अपना आश्चर्यजनक पराक्रम दिखाया।

दुर्भाग्यवश उनके रास्ते में एक नाला पड़ा, जिसे वे किसी भी दशा में पार न कर सकीं।

महारानी लक्ष्मी बाई बड़ी सहृदय, कर्त्तव्यपरायण एवं दयालु थीं। महारानी केवल योद्धा ही नहीं थी, बल्कि एक कुशल शासिका भी थीं।